Monday, September 19, 2016
Sunday, September 18, 2016
ई -साइन भारत में एक ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर सेवा
ई -साइन भारत में एक ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर सेवा डिजिटली एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के लिए एक आधार धारक की सुविधा के लिए है। [1] हस्ताक्षर सेवा आधार-आधारित ई-केवाईसी के माध्यम से आधार धारक के सत्यापन से मदद की है (इलेक्ट्रॉनिक अपने ग्राहक को जानिए) सेवा। [2]
एक दस्तावेज esign करने के लिए, एक के लिए एक आधार कार्ड और आधार के साथ पंजीकृत एक मोबाइल नंबर दिया गया है। इन दो चीजों के साथ एक भारतीय नागरिक को शारीरिक रूप से उपस्थित होने के बिना दूर से एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर सकते हैं।
भारत सरकार द्वारा जारी किए गए ई-प्रमाणीकरण आधार ई-केवाईसी सेवाओं का उपयोग करने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया के अनुबंध।
·
ई-प्रमाणीकरण तकनीक द्वारा एक इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड है जिसके द्वारा भी किया जाएगा, के प्रमाणीकरण
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ई-प्रमाणीकरण, हैश समारोह, और विषम क्रिप्टो तकनीकों का उपयोग लागू, प्रमाणन प्राधिकरण द्वारा डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाण पत्र जारी करने के लिए अग्रणी,
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ग्राहक की कुंजी जोड़ी पीढ़ी द्वारा एक विश्वसनीय तृतीय पक्ष सेवा, हार्डवेयर सुरक्षा मॉड्यूल और डिजिटल हस्ताक्षर के निर्माण पर कुंजी जोड़े के भंडारण प्रदान की है कि विश्वसनीय तृतीय पक्ष प्रमाणन प्राधिकरण (विश्वसनीय तृतीय पक्ष के आवेदन फार्म और प्रमाणपत्र हस्ताक्षर भेजेगा द्वारा की पेशकश की जाएगी ग्राहक के लिए एक डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाण पत्र जारी करने) के लिए प्रमाणन प्राधिकरण के लिए अनुरोध,
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प्रमाणन प्राधिकरण द्वारा डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाण पत्र जारी करने के लिए ई-प्रमाणीकरण के आधार पर किया जाएगा, निर्धारित प्रारूप में दिए गए आधार ई-केवाईसी सेवाओं से डिजिटल हस्ताक्षर सत्यापित जानकारी और डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाण पत्र आवेदक के इलेक्ट्रॉनिक सहमति के विवरण,
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तरीके और ई-प्रमाणीकरण के लिए आवश्यकताओं के रूप में, समय-समय पर नियंत्रक द्वारा जारी किया जाएगा
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ग्राहक की कुंजी जोड़ी बनाने के लिए सुरक्षा प्रक्रिया नियंत्रक द्वारा जारी किए गए ई-प्रमाणीकरण के दिशा निर्देशों के अनुसार किया जाएगा,
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मानकों के सूचना प्रौद्योगिकी नियम 6 में निर्दिष्ट (प्रमाणन प्राधिकरण) नियम, 2000 के साथ, अब तक में पालन किया जाएगा जैसा कि वे डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र आवेदक की सार्वजनिक कुंजी के प्रमाणीकरण समारोह से संबंधित हैं, और
·
जिस तरीके से जानकारी डिजिटल हस्ताक्षर के माध्यम से प्रमाणित हो जाता है अब तक के रूप में वे डिजिटल हस्ताक्षर के निर्माण, भंडारण और पारेषण के लिए संबंधित में सूचना प्रौद्योगिकी (प्रमाणन प्राधिकरण) नियम, 2000 के नियम 6 में निर्धारित मानकों का पालन करेगा।
प्रमाणन प्राधिकरण (सीसीए) के नियंत्रक esign सेवा प्रदाता (ईएसपी) के रूप में संचालित करने के लिए योग्य एजेंसियों को सूचीबद्ध। इस तरह के पैनल में शामिल सेवा प्रदाताओं की सूची सीसीए की वेबसाइट पर सूचीबद्ध है। आवेदन सेवा प्रदाता (एएसपी) नीचे की ओर esign सुविधा प्रदान करने के लिए ईएसपी सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं|
डिजिटल लॉकर क्या है।
डिजिटल लॉकर फरवरी
2015 में
भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक "डिजिटल लॉकर" सेवा निवासी भारतीय नागरिकों
के दस्तावेजों के भंडारण के लिए एक सुरक्षित समर्पित व्यक्तिगत इलेक्ट्रॉनिक अंतरिक्ष
प्रदान करना है।
डिजिटल
लॉकर , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया प्रोग्राम का महत्वपूर्ण हिस्सा
है। इस वेब सेवा के जरिये आप जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, शैक्षणिक प्रमाण पत्र जैसे
अहम दस्तावेजों को ऑनलाइन स्टोर कर सकते हैं। यह सुविधा पाने के लिए बस आपके पास आधार
कार्ड होना चाहिए। । पंजीकरण करने के लिए उपयोगकर्ता एक आधार कार्ड और
एक मोबाइल नंबर से जुड़े होने चाहिए (अब आधार संख्या को जोड़ने के लिए अनिवार्य नहीं
है - तुम सिर्फ डिजिटल लॉकर में एक खाता बनाने के लिए एक मोबाइल नंबर की जरूरत है)।
इस
सर्विस की सबसे खास बात यह है कि आप कहीं भी अपने दस्तावेज में आप डिजिटल लिंक पेस्ट
कर दीजिये,अब आपको बार-बार कागजों का प्रयोग नहीं करना होगा। डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स
एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (डीईआईटीवाई) ने हाल ही में डिजिटल लॉकर का बीटा वर्जन लॉन्च
किया है।
आप
भी अगर लॉकर खोलना चाहते हैं तो यह बहुत आसान है, बस आपको
http://digitallocker.gov.in/ लागइन करना होगा, उसके बाद आपको आईडी बनानी होगी। उसके
बाद आपको आधार कार्ड नंबर लॉग इन कर दीजिये। उसके बाद आपसे जुड़े कुछ सवाल आपसे पूछे
जायेंगे जिसके बाद आपका अकाउंट बन जायेगा और उसके बाद आप उसमें सारे निजी दस्तावेज
डाउनलोड कर दीजिये, जो हमेशा के लिए उसमें लोड हो जायेगा। आपका लाग इन आईडी और पासवर्ड
आपका अपना होगा जिसे आप कहीं भी खोल सकते हैं।
डिजिटल
लॉकर डिजिटल भारत कार्यक्रम के तहत महत्वपूर्ण पहल की है। इस के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं
सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डीईआईटीवाई), भारत सरकार द्वारा जारी किया गया था।
Wednesday, September 14, 2016
मां कंकाली शहडोल
शहडोल जिले के ग्राम अंतरा में कल्चुरी कालीन मां कंकाली का मंदिर है ,माँ के दरबार में सबकी मनोकामना पूरी होती है। यहां हर समय श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। लेकिन इस देवी स्थल में नवरात्रि के समय भक्तों का तांता लगा रहता है।नवरात्रि मे यहां हर दिन भण्डारे का आयोजन होता है और भजन-कीर्तन नियमित चलते हैं। वर्षो से यहां साल की दोनों नवरात्रि में जवारे बोये जाते हैं और दूर-दूर से लोग अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए मन्नत मांगने आते हैं। यहां दोनों नवरात्र के समय नगाड़ों की धुन से देवी का दरबार गूंजता रहता है।
शहडोल संभागीय मुख्यालय से लगभग नौ किलोमीटर दूर स्थित इस पांडवनगर कालीन मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। ऐसी मान्यता है कि यहां अज्ञात वास के समय पांडव रुके थे उसी समय इस मंदिर की स्थापना की गई थी। शहडोल में ऐतिहासिक पांडव कालीन विराट मंदिर से ही इस मंदिर की कथा जुड़ी हुई है। हर साल यहां नवरात्र के समय मेले जैसा माहौल रहता है।
कंकाली मां के मंदिर का धीरे-धीरे विस्तार भी हो रहा है और इस मंदिर परिसर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का भी प्रस्ताव जिला प्रशासन ने तैयार किया है। इस समय यहां मां कंकाली की कृपा पाने के लिए सुबह से शाम तक रेला लगा हुआ है और देवी गीतों से माता का दरबार गूंज रहा है।
अंतरा की कंकाली माता का इतिहास बहुत पुराना है। मंदिर में जो प्रतिमा विराजमान है वह कल्चुरी कालीन है और पांडवों के द्वारा इस प्रतिमा को यहां स्थापित किया गया था। उसके बाद मां की कृपा जिले में ही नहीं दूर-दूर तक फैली और लगातार मां की कृपा पाने के लिए यहां श्रद्धालुओं का तांता लग रहा है।
Ma Kankali Devi |
शहडोल संभागीय मुख्यालय से लगभग नौ किलोमीटर दूर स्थित इस पांडवनगर कालीन मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। ऐसी मान्यता है कि यहां अज्ञात वास के समय पांडव रुके थे उसी समय इस मंदिर की स्थापना की गई थी। शहडोल में ऐतिहासिक पांडव कालीन विराट मंदिर से ही इस मंदिर की कथा जुड़ी हुई है। हर साल यहां नवरात्र के समय मेले जैसा माहौल रहता है।
कंकाली मां के मंदिर का धीरे-धीरे विस्तार भी हो रहा है और इस मंदिर परिसर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का भी प्रस्ताव जिला प्रशासन ने तैयार किया है। इस समय यहां मां कंकाली की कृपा पाने के लिए सुबह से शाम तक रेला लगा हुआ है और देवी गीतों से माता का दरबार गूंज रहा है।
अंतरा की कंकाली माता का इतिहास बहुत पुराना है। मंदिर में जो प्रतिमा विराजमान है वह कल्चुरी कालीन है और पांडवों के द्वारा इस प्रतिमा को यहां स्थापित किया गया था। उसके बाद मां की कृपा जिले में ही नहीं दूर-दूर तक फैली और लगातार मां की कृपा पाने के लिए यहां श्रद्धालुओं का तांता लग रहा है।
विराट शिव मंदिर शहडोल
विराट मंदिर मध्य प्रदेश के शहडोल मे स्तिथ है| यह एक शिव मंदिर है| इसे कलचुरी राजा महाराजा युवराज देवा यह 950 ईस्वी और 1050 ईस्वी गोलककी मठ के आचार्य करने के लिए इसे पेश करने के बीच बनाया गया था। मंदिर अब भारतीय स्मारकों और भारत की विरासत संगठन पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा एक मान्यता होने और राष्ट्रीय विरासत स्मारक के रूप में घोषित किया है। इस 70 फुट ऊंचाई मंदिर के परिसर में पहुंचने पर एक कलचुरी उम्र वास्तुकला के इस खूबसूरत उदाहरण मिल सकते हैं।आसन नृत्य में महावीर, शिव और पार्वती की मूर्ति, सरस्वती, गणेश, विष्णु,की प्रतिमा है |कई कामुक आंकड़े खजुराहो की मूर्तियों के करीब समानता है। मंदिर समवयस्क अवधि के चंदेल और परमार कला का प्रभाव पड़ता है।ऐसा कहा जाता है यहाँ पर पांडव ने एक वर्ष का अज्ञातवाश पूरा किया था|इस मंदिर के निकट ही एक कुआ है . कुछ समय पहले कुआ की सफाई के समय काफी पुरातत्व सम्बंधित सामान मिला था| इस किया के अंदर से एक गुप्त रास्ता भी है जो सोहागपुर के किले से का के मिलता है ऐसा लोगो का कहना है.
इस मंदिर के नजदीक भगवन गणेश,राम भगवान का मंदिर भी है|
हर साल १४ जनवरी को यहाँ ७ दिन का मेला लगता है| नगर पालिका की तरफ से यहाँ पर अति सुन्दर पार्क भी बनाया गया है.
इस मंदिर के नजदीक भगवन गणेश,राम भगवान का मंदिर भी है|
हर साल १४ जनवरी को यहाँ ७ दिन का मेला लगता है| नगर पालिका की तरफ से यहाँ पर अति सुन्दर पार्क भी बनाया गया है.
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Virat temple shahdol |
Tuesday, September 13, 2016
गैबीनाथ शिव मंदिर, बिरसिंहपुर
यह
मंदिर सतना ज़िला के बिरसिंपुर क्षेत्र मे है. यह लोगो के आस्था का प्रतिक है.
यह मंदिर मैं भक्त जानो की बहुत आस्था है .यहाँ हर सोमवार ,अमावस्या
और सावन की महीने मे भक्त जानो की बहुत भीड़ रहती है.आज समीप ही एक बड़ा तालाब है. लोग इस तालाब से जल भरकर
भगवान शिव को चढ़ते है. लोग यहाँ मन्नत मागते है और मन्नत पूरी होने पर भंडार करते है.
तालाब के दूसरे और माँ पार्वती का मंदिर है. भक्त जन भगवान शिव और माँ पार्वती का गाठ जुड़ाव भी करते
है. एक कई धर्मसालय भी है.यहाँ एक लोक कथा भी है:- ऐसा कहा जाता है एक बार यहाँ एक
मुग़ल सुल्तान ने भगवान शिव की मूर्ति को काटने
का प्रयास किया था तब मूर्ति से एक और दूध ,दूसरी तरफ से पानी ,तीसरी तरफ से खून निकला
था .इस का प्रमाण आज भी मिलता है. मूर्ति मे आज भी तीन और से कटे होने का प्रमाण है.
यह
मंदिर सतना ज़िला के बिरसिंपुर क्षेत्र मे है. यह लोगो के आस्था का प्रतिक है.
यह मंदिर मैं भक्त जानो की बहुत आस्था है .यहाँ हर सोमवार ,अमावस्या
और सावन की महीने मे भक्त जानो की बहुत भीड़ रहती है.आज समीप ही एक बड़ा तालाब है. लोग इस तालाब से जल भरकर
भगवान शिव को चढ़ते है. लोग यहाँ मन्नत मागते है और मन्नत पूरी होने पर भंडार करते है.
तालाब के दूसरे और माँ पार्वती का मंदिर है. भक्त जन भगवान शिव और माँ पार्वती का गाठ जुड़ाव भी करते
है. एक कई धर्मसालय भी है.यहाँ एक लोक कथा भी है:- ऐसा कहा जाता है एक बार यहाँ एक
मुग़ल सुल्तान ने भगवान शिव की मूर्ति को काटने
का प्रयास किया था तब मूर्ति से एक और दूध ,दूसरी तरफ से पानी ,तीसरी तरफ से खून निकला
था .इस का प्रमाण आज भी मिलता है. मूर्ति मे आज भी तीन और से कटे होने का प्रमाण है.
नजदीक
एयरपोर्ट - जबलपुर
नजदीक
रेलवे स्टेशन -सतना
लोग
यहाँ सड़क मार्ग से भी आ सकते है.
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